लो जी आ गए हम भी ब्लॉग वर्ल्ड में..बहुत समय से बहुत सारे ब्लॉग पढ़ रही थी..बहुत अच्छे अच्छे सभी,क्या खूब लिखती है दुनिया और जूनून तो काबिले तारीफ है यक़ीनन....
कवितायेँ लिखती थी अब तक ,पर दिलो दिमाग मेंबहुत कुछ आता रहता है जो मैं कभी कागज़ पर या किसी और जगह उतार नहीं पाई ...सो ब्लॉग का ख्याल अचानक एक दिन पलकों के किनारे आके बैठ गया और शायद और ब्लोग्स पढने का भी असर था ये.कितने दिनों से सोच रही थी,ब्लॉग बनाना है...finally आज बन ही गया.बनाने लगी तो ख्याल आया कि हम बना तो रहे हैं पर अपना ब्लॉग कोई पढ़ेगा भी!!!! फिर लगा मैदान में तो उतरते है..शुरआत लिखने की हमेशा अपने लिए की जाती है,बिना इस बात की परवाह कियेकि कोई क्या कहेगा,कोई पढ़ेगा या नही..और शुरू में तो हम लोग चाहते ही नहीं
कि हमारा लिखा हुआ कोई और पढ़े..घर में भी diary हमेशा बचा के रखनीपड़ती थी हमेशा...मगर अब इन्टरनेट के ज़माने में सब पोस्ट करने का दिल करता है सभी का...शायद अजनबियों के आगे डर नही लगता...और अब अजनबी है भी कौन..ग्लोबल वर्ल्ड है साब..!! जिन लोगों का ब्लॉग मैंने पढ़ा है,वो भी अब कहाँ अजनबी लगते हैं...हाँ,एक कमी रही है मुझमे....कितने अच्छे अच्छे ब्लॉग पढ़े पर एकाध बार से ज्यादा कमेन्ट नहीं किया...पता नहीं क्यूँ? या हाँ पता है....मैं पढ़ते समय इतनी खो जाती हूँ कि बिलकुल वैसे पढ़ती हूँ लैपटॉप पर भी जैसे कोई किताब पढ़ रही हूँ जहाँ अगले पन्ने पर क्या है,बस ये जानने कि उत्सुकता रहती है...author की तारीफ बस जेहन में और बुदबुदाते शब्दों में या तो मन में रहती है या हलकी सी हवा में,उसी तरह ब्लॉग में भी मेरा यही हाल है वर्ना कितने ब्लॉग तो पूरे पूरे पढ़े हैं मैंने....लेकिन तारीफ के लिए शब्द नहीं रहते अक्सर मेरे पास बिलकुल किताबों की तारीफ में जैसे...सो क्षमाप्रार्थी भी हूँ.....जिन ब्लोग्स को मैंने blogs i follow की लिस्ट में add किया है,उन्हें पढना मुझे बेहद पसंद है....आप सभी की प्रत्यक्ष तारीफ में कमी करने के लिए क्षमा कीजियेगा....आशा करती हूँ कि ब्लॉग वर्ल्ड में जल्दी ही मेरे भी मित्र बन जायेंगे.....शुक्रिया
Welcome...!
ReplyDeleteshukriya sagar ji :) so glad to have dis 1st comment on my blog..stay connected
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