एक नज़्म पड़ी है कागज़ पे,
कुछ कोरी सी,
कुछ काली सी..!
तुम जो आके रंग भर दो,
धड़कन इन्द्रधनुषी हो जाए,
दिल में ही नहीं,
नज़्म में भी..!!!
कुछ कोरी सी,
कुछ काली सी..!
तुम जो आके रंग भर दो,
धड़कन इन्द्रधनुषी हो जाए,
दिल में ही नहीं,
नज़्म में भी..!!!
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