Wednesday, 11 January 2012

ख्वाब भी मर कर तारा बनते हैं..!!

अक्सर देखा होगा तुमने भी,,
सभी देखते हैं..

एकटक आसमां की ओर,
तारों के दरमियाँ,
जब कोई अपना चला जाता है,
हमेशा हमेशा के लिए,
इस दुनिया से दूर,,

लेकर  बैठ जाते हैं न हम,
अपनी यादों से भरे कटोरे को,
उड़ेलते है धीरे धीरे
एक अर्घ्य के जैसे
उसे अपने आंसूओं में…
ताकते हुए आसमां की ओर
क्योंकि
दूसरी दुनिया तो आसमां में बसती है ना..!!

पर क्या कभी गौर किया है..?

वो लोग क्या ढूंढ़ते होगे
अनंत आकाश में,
जिन्होंने साक्षात्कार नहीं किया अभी तक
जीवन की इस अंतिम सच्चाई का,
किसी अपने के लिए,

क्या ढूंढते होंगे वो….!!!!!

शायद अपने ख्वाब………

टूटे ख्वाब,
अधूरी अभिलाषाएं,
बिलखते अरमान,,

हाँ,,यही  तलाशते होंगे,,


क्योंकि शायद,
सिर्फ लोग ही नहीं,,
ख्वाब भी मर कर तारा बनते हैं..!!

आखिर  ख्वाबों का मरना भी तो जीवन की अमिट सच्चाइयों में से एक है…!!

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