आ गयी ज़िन्दगी की असलियत एक पल में नज़र के सामने,
जब टूटे सपनों की कलम से भरने ज़िन्दगी के पन्ने हम चले…!!
रुकने की फुर्सत जब एक पल के लिए भी देती नहीं ज़िन्दगी,
तो भागती राहों पर पैर टिकाते कभी पैर दौड़ाते कैसे बन पड़े..!!
अपने ही समय से अपने लिए ही वक़्त चुराना लगता है नासाज,
पुकारें आने लगती है गर एक पल भी खुद से बतियाने हम लगे..!!
ज़िन्दगी की ऐसी शक्लो- सूरत भी तो पर हम ही लोग चुनते हैं,
तो गलत होगा न,, इसके लिए किसी और से शिकायत गर करें..!!
जब टूटे सपनों की कलम से भरने ज़िन्दगी के पन्ने हम चले…!!
रुकने की फुर्सत जब एक पल के लिए भी देती नहीं ज़िन्दगी,
तो भागती राहों पर पैर टिकाते कभी पैर दौड़ाते कैसे बन पड़े..!!
अपने ही समय से अपने लिए ही वक़्त चुराना लगता है नासाज,
पुकारें आने लगती है गर एक पल भी खुद से बतियाने हम लगे..!!
ज़िन्दगी की ऐसी शक्लो- सूरत भी तो पर हम ही लोग चुनते हैं,
तो गलत होगा न,, इसके लिए किसी और से शिकायत गर करें..!!
thanx :)
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