इश्क
१००–२००–५०० रुपये के
नोट जैसा नहीं होना चाहिए,,
कि पाया,,
और कब खर्च हो गया,
मालूम ही ना पड़े….
वो तो
ऐसा होना चाहिए जैसे
चवन्नी,,अट्ठन्नी या एक रुपये का सिक्का,,
जो सालों बाद भी
पुराने कपड़ों को झाड़ने भर से निकल आये,,
कहीं किसी कोने से
दिल के………….!!!!
१००–२००–५०० रुपये के
नोट जैसा नहीं होना चाहिए,,
कि पाया,,
और कब खर्च हो गया,
मालूम ही ना पड़े….
वो तो
ऐसा होना चाहिए जैसे
चवन्नी,,अट्ठन्नी या एक रुपये का सिक्का,,
जो सालों बाद भी
पुराने कपड़ों को झाड़ने भर से निकल आये,,
कहीं किसी कोने से
दिल के………….!!!!
:)
ReplyDeleteइसका दूसरा पहलू भी है... बहरहाल जाने दीजिये.
ReplyDeleteफिलहाल ये यहाँ इस रूप में सुन्दर है...
shukriya dimple :)stay connected
ReplyDeleteshukriya sagar :) wud like if u will share d other side also here
ReplyDeleteइशक नोट जैसा नाजुक
ReplyDeleteसिर्फ तेरे भरोसे की दस्तखत से
चलेगा
हटा दे तो सही,
रद्दी के टुकड़े सा
मूँगफली के साथ नमक रखने के काम भी
आयेगा
पता नहीं !
इश्क,
नोटो जैसा
बेजूबाँ पर
भरा हुआ तेरे मेरे भरोसे को
माथे पर सुहाग चिन्ह की तरह
लिये हुए,
सिक्के जैसा नहीं
कि जब
अन्दर है
तब भी गैरों
को जताता रहता है अपनी हैसियत
और अपना
इसमें अविश्वास भी,
और हाँ
भरोसी की कीमत भी तो कम
करके आँकता है
इसलिये
अपना
वजन
अपना रंग
अपना
गठन
जाँचता, जँचवता रहता है
भाई
ये मेरे उल्लुऒं जैसी
बकबक को
ना ही पढ़े
कोई
तो अच्छा
क्या
मैं अचकचा
नहीं जाऊँगा ?